गीतिका/ग़ज़ल वाई. वेद प्रकाश 07/07/202407/07/2024 ग़ज़ल रह गयी आंखें तरसकर चांद के दीदार को।पूनमी अंबर लिए इक चांदनी के हार को।जान तो तुम छिड़कता ही रहा Read More
गीतिका/ग़ज़ल वाई. वेद प्रकाश 01/07/202427/06/2024 ग़ज़ल मुझमें भी खुशबू आये।लेकर तुम जादू आये।सच के पथ पर चलना है,मैं आऊं या तू आये।ऐसे काम नहीं करने,अपमानों की Read More
गीतिका/ग़ज़ल वाई. वेद प्रकाश 07/06/202407/06/2024 ग़ज़ल नये घर को सजाना चाहता है।याद पुरखों की मिटाना चाहता है।प्यार का दीपक जो डेहरी पर रखा,उसको आखिर क्यों बुझाना Read More
कविता वाई. वेद प्रकाश 22/05/202422/05/2024 कविता मैं कुछ नहीं कहूंगी नहीं बोलूंगी एक शब्द तुम्हारी जो इच्छा हो करो मैं नहीं रोकूंगी तुम्हें वैसा कुछ करने Read More
गीतिका/ग़ज़ल वाई. वेद प्रकाश 07/05/202407/05/2024 ग़ज़ल दस्तकों के दिन गये धक्के लगाना सीख लो छोड़कर सज़दे में रहना सिर उठाना सीख लो। एक पत्थर ताल को Read More
कविता वाई. वेद प्रकाश 09/04/202409/04/2024 कविता – सभ्य नागरिक आखिरकार हम क्यों नहीं बन सके एक सभ्य नागरिक एक सभ्य देश के। बेहद महत्वपूर्ण और विचार का मुद्दा है Read More
गीतिका/ग़ज़ल वाई. वेद प्रकाश 09/04/202409/04/2024 ग़ज़ल जिन्दगी बीती कहानी है तो है । ढलते सूरज की रवानी है तो है। जिन्दगी के दरमियां बस, खून पानी Read More
कविता वाई. वेद प्रकाश 22/03/202422/03/2024 कविता हमारा समय भर गया है घनघोर अंधकार से अंधेरा इतना घना कि दिखता नहीं कुछ भी। वक्त की पगडंडियां चलते Read More
गीतिका/ग़ज़ल वाई. वेद प्रकाश 02/03/202402/03/2024 ग़ज़ल जिन्दगी की झील में पानी नहीं बस रेत है रेत में पदचाप बिन चलती रही है जिन्दगी। हमने अपनी चाहतों Read More
कविता वाई. वेद प्रकाश 18/02/202418/02/2024 सम्भावना जहां हो कच्चापन सम्भावनाएं होती हैं अपार वहीं पर । उग आता है बीज जरा सी नमी पाकर उस अंकुरण Read More