व्यंग्य – पइसा दे दो पइसा
पइसा दे दो पइसा, हाहाहाहाहा- अरे-अरे आप ग़लत समझ रहे । ये कोई मुफ्त मे पैसे मांगने वाले नहीं हैं
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Read Moreवर्तमान की परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए और अपने आसपास के वातावरण के साथ ही कुछ सखियों के संग बात
Read Moreआज के समय मे अपने ही चहू ओर कि हर एक विषम परिस्थितियों को देखते हुए जो मन में विचार
Read Moreकलम प्रखर नहीं थी मेरी इसे प्रखर बनाया है।। हर गहरा ज़ख़्म मेरा शब्दों में ज़हर घोल पाया है।। चोट
Read Moreआप सभी सोच में पड़ गए होंगे कि अरे ये कौन सा बाज़ार है और ये बाज़ार कहां है ,
Read Moreअरे ! सच आज मैं बहुत बड़ी सोच मे उलझ गयी हूं , और खुद से ही सवाल कर रही
Read Moreवर्तमान युग में बढ़ती हुई महंगाई को मद्देनजर रखते हुए इस लेख को लिखना चाहा । वाकई यदि हम अपना
Read Moreज़हर जो उगले मेरी कलम छील के ये रख देती है क्रोध कि ज्वाला धधक रही लिख शांत हो कलम
Read Moreआज वर्तमान युग मे यदि देखा जाए तो हर ओर भ्रष्टाचार का ही बोल बाला है । ये भ्रष्टाचार किसी
Read Moreबलात्कार शब्द एक ऐसा शब्द है जिसे सुनकर दिल क्रोध से भर जाता है । बलात्कार के अंतर्गत बलात्कारी अब
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