गीतिका
अहंकार की विष बेल ने कब अमृत बरसाया है ,बूढा हुआ बरगद तो क्या, छाया से अपनी महकाया है। सतयुग
Read Moreबहुत कीमती सामान था मेराउस यादों के पिटारे मेंभुलाना तो बहुत चाहापर वक़्त ने भूलने न दिया मैं मानती रही
Read Moreमाँ तो नहीं रही, लेकिन हाँ माँ के नाम कुछ बीमा था, बैंक बैलेंस भी था, क्योंकि माँ गवर्नमेंट कॉलेज
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