कविता *वर्षा वार्ष्णेय 11/11/2018 प्यार प्यार का अर्थ बहुत व्यापक होता है ।जीवन का सार सिमटा हुआ है इस ढाई शब्द में । किसी के Read More
कविता *वर्षा वार्ष्णेय 11/11/2018 जिंदगी भूल गया जो अपना पथ फिर मंजिल का है भान कहाँ । काँटों पर चलकर ही तो मिल पाता है Read More
कविता *वर्षा वार्ष्णेय 22/10/201822/10/2018 कविता जिंदगी की वीरानियों को समेटने की नाकाम कोशिशें , ले आती हैं इंसान को जब कभी दोराहे पर बिखर जाता Read More
कविता *वर्षा वार्ष्णेय 22/10/2018 बलात्कार क्या से क्या आज की कहानी हो गयी , हर तरफ चर्चा रेप का दुनिया दीवानी हो गयी । भाषणबाजी Read More
कविता *वर्षा वार्ष्णेय 27/09/2018 गीत भूला बिसरा गीत हूँ मैं , जब चाहा गुनगुना लिया । खुदा की कोई भूल हूँ मैं , जब चाहा Read More
गीत/नवगीत *वर्षा वार्ष्णेय 27/09/2018 इंतजार जबसे गए हो तुम पिया , न खत भेजा न पूछी बात । जबसे मिले हो तुम पिया , न Read More
कविता *वर्षा वार्ष्णेय 27/09/201805/10/2018 इबादत इबादत ही तो है जिंदगी , कर्म करो फल की इच्छा मत करो । अहसान ही तो है जिंदगी ऊपरवाले Read More
कविता *वर्षा वार्ष्णेय 16/08/2018 जीवन उदासियों के घेरे में बुलंदियों की ऊंचाई है , तन्हाई है वहां जिसके मन मे सच्चाई है । प्रेम का Read More
गीत/नवगीत *वर्षा वार्ष्णेय 16/08/2018 दौर महाकवि नीरज जी को दिल से नमन 💐💐💐💐💐💐💐💐💐 वो दौर भी अजीब था , खिले खिले थे फूल से Read More
कविता *वर्षा वार्ष्णेय 16/08/2018 आह आह की तुम बात न करो , आंसुओं को कब भिगो पाया है जहां बहती ही रही नदी निस्वार्थ भाव Read More