दर्पण
जीवन के अंतर्द्वंद को समझना इतना आसान कहाँ , खिलते हैं फूल बगिया में पर आनंद माली के बिन कहाँ
Read Moreचांदनी रातों में अहसास भी करीब होते हैं , चाँद के नजारे भी जैसे रकीब होते हैं । पिघल रही
Read Moreजीने की उम्मीद में क्यों चाक दामन करते हो हर दिन क्यों रोते हो उम्मीदें हजार करते हो मायूसी से
Read Moreत्याग ,प्यार ,स्नेह ,परहित की भावना । निश्छल प्रेम की है अद्रश्य याचना । थक जाते हैं कदम भी अनजानी
Read Moreप्यार हवा जैसा ही तो होता है , चाहते हैं जिसे छूना हर पल । प्यार आँसूं की फुहार है
Read Moreटूटे हुए टुकड़ों को काश संभाला होता आशियाँ को अपने यूँ न जलाया होता गैरों को अपना बनाने की हसरत
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