जीवन और आशा
जीने की उम्मीद में क्यों चाक दामन करते हो हर दिन क्यों रोते हो उम्मीदें हजार करते हो मायूसी से
Read Moreजीने की उम्मीद में क्यों चाक दामन करते हो हर दिन क्यों रोते हो उम्मीदें हजार करते हो मायूसी से
Read Moreत्याग ,प्यार ,स्नेह ,परहित की भावना । निश्छल प्रेम की है अद्रश्य याचना । थक जाते हैं कदम भी अनजानी
Read Moreप्यार हवा जैसा ही तो होता है , चाहते हैं जिसे छूना हर पल । प्यार आँसूं की फुहार है
Read Moreटूटे हुए टुकड़ों को काश संभाला होता आशियाँ को अपने यूँ न जलाया होता गैरों को अपना बनाने की हसरत
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