ग़ज़ल
हसरतों की बात न पूछो यहां उम्र कम होती गई, हसरतें बढ़ती गई! करार जितना ढूंढते रहे यहां बेकरारी उतनी
Read Moreसिहरने लगी है ये शाम जरा रात भी है कुछ अलसाई-सी ओस की बूंदों से सराबोर कोहरे के चादर लपेट
Read Moreरोशन घरों के कोने में अंधेरा क्यों है खुशियों में भी ग़म की परछाईं क्यों है? मुस्कुराहट तो हर वक्त
Read Moreएक बहाना तो दो जीने का मरने के तो कई बहाने है। एक तराना तो छेड़ो जिंदगी का मौत के
Read Moreवल उज्जवल वृहद विशाल शालिनता की हो जैसे कोई मिसाल सम्मुख उसके सभी झुकते क्या निर्धन क्या धनवान —-! बर्फिली
Read Moreयह दुविधा है बड़ी भारी क्या करें अबला नारी कर्तव्य निर्वाह करे जननी का या पालन करें धर्म भार्या का—-
Read Moreकर ली है हमने उस अनन्त यात्रा की तैयारी जाने कब आ जाए अपनी बारी अपने कर्मों की पोटली बना
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