रात और दिन
रात है एक खिड़की दिन है दरवाजा रात में पसरा है अंधेरा तो दिन में प्रकाश का है समागम थक
Read Moreरात है एक खिड़की दिन है दरवाजा रात में पसरा है अंधेरा तो दिन में प्रकाश का है समागम थक
Read Moreधूप में तुझे जलना पड़ेगा ना चाहते हुए भी तुझे चलना पड़ेगा। गर पांवों में पड़ गए है छाले उन
Read Moreनीलम अभी अभी अपनी ननद अभिलाषा के घर आई,आते ही अपनी तारीफों के पुल बांधने लगी। नीलम से जब भी
Read Moreफैसला थोड़ा मुश्किल था लेकिन करना जरूरी था। हालात के आगे मेरा झुकना मुमकिन न था। मझधार में तुम तो
Read Moreमिट्टी सरीखी जीवन का कितना मान करें ऐ प्राणी सांसों की डोर को कितना खींच कर रखेगा अभिमानी गुमान के
Read More