सावन मैं तेरे नाम लिखूं
गीत लिखूं या प्रीति लिखूं तुमको भाए तो मीत लिखूं बस जाओ यदि मेरे मन में फिर तुमको मैं मनमीत
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Read Moreचलो हमारे प्रेम भवन का शिलान्यास हम करते हैं हो निर्माण शीघ्र ही इसका पहल आज से करते हैं..।। सहभागिता
Read Moreवक़्त कभी अपना होता है वक़्त कभी सपना होता है साथ नहीं सीखा यदि चलना फिर सब कुछ सहना होता
Read Moreनही है फ़िक्र अब वैसी, नहीं वादे पुराने हैं निभाते थे जिसे पहले, कहाँ रिश्ते पुराने हैं..।। लुभाते थे कभी
Read Moreनूतन वर्ष की आहट भी सहमी-सहमी सी लगती है हर चेहरे मुरझाए से हैं खुशियां भी सहमी लगती हैं..।। बीते
Read Moreलिखते-लिखते लिख डाले हैं जीवन के कितने ही पन्ने फिर भी जीवन अनसुलझा है न जाने कितने हैं लिखने..।। जीवन
Read Moreलेखनी बनकर बस तुम रहो साथ मैं लिखूं गीत बस अब तुम्हारे लिए..।। जो बचे खाली पन्ने हैं अरमानों के
Read Moreआज के आधुनिक परिवेश में मानव जीवन पर आधुनिकता पूरी तरह से हावी होती जा रही है, लोग अंग्रेजी भाषा
Read Moreगांव की गलियां फिर से चहकने लगी हैं पुष्प की कलियां फिर से महकने लगी हैं बूढ़ा बरगद भी फिर
Read Moreतुम मेरी रचना बन जाओ बन जाऊं मैं रचनाकार सृजन सहज हो जाए मेरा लिखना हो जाए साकार..।। शब्द शिल्प
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