Author: डॉ. विजय कुमार सिंघल

उपन्यास अंश

उपन्यास : शान्तिदूत (पेंतालीसवीं कड़ी)

अतिथि निवास में आकर कृष्ण ने सात्यकि को राजसभा की कार्यवाही संक्षेप में समझाई, यद्यपि उसकी आवश्यकता नहीं थी, क्योंकि

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उपन्यास अंश

उपन्यास : शान्तिदूत (तेंतालीसवीं कड़ी)

दुर्योधन के अशिष्टतापूर्वक राजसभा कक्ष से बाहर चले जाने पर किसी को आश्चर्य नहीं हुआ। यह उसकी जिन्दगी में पहला

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राजनीति

जनेवि में भगवा लहर का शुभारम्भ

प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में प्रारंभ से अभी तक वामपंथियों का वर्चस्व रहा है. बहुत प्रयासों के बाद भी राष्ट्रवादी

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उपन्यास अंश

उपन्यास : शान्तिदूत (उन्तालीसवीं कड़ी)

राजसभा में पांचाली के वस्त्रहरण का कृष्ण द्वारा उल्लेख करने पर युवराज दुर्योधन आगबबूला हो गया, जैसे किसी ने उसको

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उपन्यास अंश

उपन्यास : शान्तिदूत (सेंतीसवीं कड़ी)

दुर्योधन की यह गर्वोक्ति सुनकर कृष्ण क्रोधित नहीं हुए, बल्कि दयनीय दृष्टि से दुर्योधन की ओर देखा और मंद-मंद मुस्कराते हुए

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