राजनीति

जनेवि में भगवा लहर का शुभारम्भ

प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में प्रारंभ से अभी तक वामपंथियों का वर्चस्व रहा है. बहुत प्रयासों के बाद भी राष्ट्रवादी अभी तक वहां प्रमुखता प्राप्त नहीं कर सके थे. प्राध्यापकों में वामपंथियों के वर्चस्व के कारण वहां प्रवेशों में भी वामपंथी छात्र अधिक संख्या में आ जाते थे. लेकिन अब यह चित्र बदलने लगा है.

मुझे याद है कि १९८२ में, जब मैं वहां पढता था, तब हमने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के बैनर से पहली बार उपाध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा था, जिसमें हमको मुश्किल से ९० मत प्राप्त हुए थे, वे भी बहुत प्रचार के बाद, जबकि एसऍफ़आई का उम्मीदवार दो हजार मत लेकर जीता था. तब से धीरे धीरे अभाविप के पैर यहाँ जम रहे हैं. एक बार तो अध्यक्ष पद पर भी हमारा उम्मीदवार जीत गया था.

लेकिन इस बार के छात्र संघ के चुनाव में पहली बार अभाविप जनेवि छात्र संघ में सबसे बड़े छात्र संगठन के रूप में उभरा है. उसके कुल १२ पार्षद जीतकर आये हैं. केन्द्रीय पदों के चुनाव में भी अभाविप के उम्मीदवार दो पदों पर दूसरे और अन्य दो पदों पर निकट से तीसरे स्थान पर रहे. यह कोई सामान्य सफलता नहीं है.

वैसे विज्ञान स्कूलों में शुरू से ही अभाविप का बोलबाला रहा है, परन्तु उनमें छात्र कम होते हैं. अन्य स्कूलों के बल पर वामपंथी जीतते रहे हैं. अब वहां भी अभाविप अपने पैर मजबूती से जमा रही है.

जनेवि छात्रसंघ में ३१ पार्षद और ४ केन्द्रीय पदाधिकारी मिलाकर ३५ मत होते हैं, उनमें से १२ अभाविप के हैं. जबकि आइसा के ४ केन्द्रीय और ६ पार्षद मिलाकर कुल १० स्थान हैं. इसका अर्थ है कि आइसा को अपना कोई प्रस्ताव पास कराने में नाकों चने चबाने पड़ेंगे, जबकि अभाविप ५-६ अन्य के समर्थन से अपना कोई भी प्रस्ताव पास करा सकेगी.

आशा की जानी चाहिए कि अगले वर्ष अभाविप और भी अधिक सफलता प्राप्त करेगी. इसके समर्पित कार्यकर्त्ता इस संगठन के लिए वरदान स्वरुप हैं.

विजय कुमार सिंघल

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com