उपन्यास : शान्तिदूत (सोलहवीं कड़ी)
अब कृष्ण वनवास में पांडवों के साथ घटी घटनाओं पर विचार करने लगे। वनवास में पांडव घास-फूस की कुटी बनाकर
Read Moreअब कृष्ण वनवास में पांडवों के साथ घटी घटनाओं पर विचार करने लगे। वनवास में पांडव घास-फूस की कुटी बनाकर
Read Moreकृष्ण कौरवों की राजसभा में हुई आगे की घटनाओं पर विचार करने लगे, जैसा कि उनको बाद में ज्ञात हुआ।
Read Moreकृष्ण को कुरुओं की राजसभा में द्रोपदी के अपमान की सभी बातें बाद में ज्ञात हुईं। उनको इन घटनाओं का
Read Moreराजसूय यज्ञ के बाद की घटनाओं को याद करके कृष्ण का मन फिर खिन्न हो गया। इस यज्ञ के बाद
Read Moreअब कृष्ण राजसूय यज्ञ के समय हुई घटनाओं को स्मरण करने लगे। राजसूय यज्ञ करना सरल नहीं था। सबसे पहले
Read Moreकृष्ण को याद है कि उस समय वे द्वारिका में थे, लेकिन जैसे ही उनको कुरुओं के साम्राज्य के विभाजन
Read Moreयह कोई छिपी हुई बात नहीं है कि भारत का सेकुलर मीडिया हद दर्जे का मक्कार है और राष्ट्रवादी संगठनों
Read Moreअब कृष्ण द्रोपदी के साथ पांडवों के लौटकर हस्तिनापुर आने के बाद की घटनाओं पर विचार करने लगे। कृष्ण को
Read Moreयह एक मानी हुई बात है कि न्याय में देरी करना न्याय को नकारना है. (Justice delayed is justice denied.)
Read Moreकृष्ण के विचार अब कर्ण की ओर मुड़े। कृष्ण ने सुन रखा था कि देखने में किसी क्षत्रिय योद्धा जैसा
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