कोई एक पल
कभी कभी यूँ ही मैं, अपनी ज़िन्दगी के बेशुमार कमरों से गुजरती हुई, अचानक ही ठहर जाती हूँ, जब कोई
Read Moreजब हम जुदा हुए थे.. उस दिन अमावस थी !! रात भी चुप थी और हम भी चुप थे…..! एक
Read Moreमैं हर रात ; तुम्हारे कमरे में आने से पहले सिहरती हूँ कि तुम्हारा वही डरावना प्रश्न ; मुझे अपनी
Read Moreघिर आई फिर से… कारी कारी बदरिया लेकिन तुम घर नहीं आये….मोरे सजनवा !!! नैनन को मेरे, तुमरी छवि हर
Read Moreकहीं कोई नहीं है जी…..कोई नहीं, बस यूँ ही था कोई जो जाने अनजाने में बस गया था दिल में..
Read Moreअक्सर तेरा साया एक अनजानी धुंध से चुपचाप चला आता है और मेरी मन की चादर में सिलवटे बना जाता
Read Moreअचानक एक मोड़ पर , अगर हम मिले तो , क्या मैं , तुमसे ; तुम्हारा हाल पूछ सकता हूँ
Read Moreचमनलाल मर गए। वैसे तो एक दिन उन्हें मरना ही था। हर कोई मर जाता है । इस फानी दुनिया
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