Author: डॉ, विकास शर्मा

कविता

प्रेम

प्रेम करकेप्रेम में रहकरप्रेम कीचाह रखनाबुरी बात तो नहीं…….दिल परहाथ रखकर“तुम्हें”जिंदगी कहनाअधूरी बात तो नहीं……. जैसेजकड़े गए थेराम और लक्ष्मणनागपाश

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