मुक्तक
मेरे इन होठों पर हरदम पैगाम तुम्हारा ही होगा मुझको ठुकराने से ठोकर बदनाम तुम्हारा ही होगा भले ही तुम
Read Moreइतिहासों के भंडार से कोई कोना न खाली है गंगा गंडक के आंचल में बसी अपनी वैशाली है महावीर की
Read Moreसुना दो मुझे दिल का वो पैगाम जो भी हो नहीं है गम मुझे अब चाहे नीलाम जो भी हो
Read Moreनिगरानी के हत्थे चढ़कर नेता और अफसर जाते बापू अगर जिंदा होते तो ये देखकर मर जाते सपना देखा था
Read Moreदिल में कोई अफसोस नहीं और होठों पर फरियाद नहीं कल तुम क्या थे और मैं क्या था अब फर्क
Read Moreआंखे तालाब नहीं पर भरती है जब रोते हैं बीज नहीं है दुश्मनी फिर भी लोग बोते हैं ऐसे ही
Read Moreकि फिर यादों की बस्ती में जाना चाहता हूं मैं बहुत भटका
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