मुक्तक
मेरे इन होठों पर हरदम पैगाम तुम्हारा ही होगा मुझको ठुकराने से ठोकर बदनाम तुम्हारा ही होगा भले ही तुम
Read Moreदिल में कोई अफसोस नहीं और होठों पर फरियाद नहीं कल तुम क्या थे और मैं क्या था अब फर्क
Read Moreआंखे तालाब नहीं पर भरती है जब रोते हैं बीज नहीं है दुश्मनी फिर भी लोग बोते हैं ऐसे ही
Read Moreकि फिर यादों की बस्ती में जाना चाहता हूं मैं बहुत भटका
Read Moreकैसा ये गजब हुआ है है कानों पर विश्वास नहीं भारत मां के आंचल का हीरा अब भारत मां के
Read Moreसदियों से जो आदर्श रहा, और धरती का अभिमान रहा जो रघु वंश का कुल गौरव, आन बान और शान
Read Moreभक्तों के भक्ति की भाषा त्याग और तप की परिभाषा पर्वत है चरण को चूम रहा नमन करते देव भाष्कर
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