विकास का लेखा
आजकल लिखने बैठता हूँ तो मन थका-थका सा अलसियाया हुआ होता है और इस चक्कर में नहीं लिखता हूँ तो,
Read Moreआजकल लिखने बैठता हूँ तो मन थका-थका सा अलसियाया हुआ होता है और इस चक्कर में नहीं लिखता हूँ तो,
Read Moreमेरी समस्या बड़ी अजीब है! वह यह कि विकास कराने और इसकी देखभाल करने वालों के हत्थे चढ़ चुके विकास
Read More“बंधवा पर महवीर विराजै” बचपन में जब इसे सुना था तब तक बांध से परिचित भी नहीं हो पाया था!
Read Moreइस देश का गजबै हाल है..किसी की निजता उसे कहाँ से कहाँ ले जाकर खड़ी कर देती है..! हमको तो
Read Moreमुझे लगता है सरकारी बस सेवा मने रोडवेज बस पर चलना सुरक्षा और आर्थिक लिहाज से यात्रा का एक बेहतरीन
Read Moreअभी कल शाम को पन्द्रह अगस्त की आजादी मनाकर और इससे निपटने के बाद जब कुछ लिखने बैठे तो मेरा
Read More“आप तो, काम करते ही नहीं” बहुत पहले यह जुमला मेरे कानों में पड़ा था। तब मैं आश्चर्य से भर
Read Moreएकदम अच्छी बात करने का मन कर रहा है, मतलब नो आलोचना… नो कमेंट..और नो राजनीतिक बातें… हाँ तो पहला
Read Moreआज उसे अपने गॉडफादर से मिलना था…असल में, यह उसके गॉडफादर ही थे जिनके कारण वह मनचाही जगह पर तैनाती
Read Moreउस दिन, मेरे वे अन्तरंग मित्र, जिनके साथ बचपन में क्रिकेट भी खेल चुका था, आते ही मुझसे पूँछ बैठे
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