बारिश में भीगे हुए मेरे शहर
ऐ बारिश में भीगें हुए मेरे शहर तुझे पता भी हैं आज तू कितना खूबसूरत लग रहा है तेरी गलियों
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Read Moreशिल्प -मगण,भगण,सगण* (222, 211, 112), 9 वर्ण, 4 चरण, 2-2 समतुकांत बोलो बैठो मनुज कभी भैया भाभी महल सभी। आओ
Read Moreआदमी भ्रम में जीता है ! ज़िन्दगी भर, मौत तक । आदमी की तलाश आनंद है तलाश मुक्ति की …………!
Read Moreभूखी आंखें देखती है हुस्न की बनावट इंच-इंच सेंटीमीटर-सेंटीमीटर कुरेदती है सौंदर्य की शक्ल पर अनगिनत निशान मर्द का प्यार
Read Moreरक्त लालिमा के भाल पटल पर सिन्दूरी स्वप्न के अनगिनत दीप लह – लह कर जले जब दिन ढले शांत
Read Moreअमित अमीत अधूत आज क्यों , मनमानी कर उतराये हैं ? समीकरण क्यों बदल रहे हैं, समदर्शी क्यों घबराये हैं
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