कविता – नन्हीं गौरैया
नन्हीं गौरैया उड़ते-उड़ते चली आई मेरे कमरे में मैंने तुरन्त लपककर बन्द कर दिया खिड़की और दरवाजा और पकड़ने लगा
Read Moreनन्हीं गौरैया उड़ते-उड़ते चली आई मेरे कमरे में मैंने तुरन्त लपककर बन्द कर दिया खिड़की और दरवाजा और पकड़ने लगा
Read Moreजलकुंभी तालाब में बह आयी हाय रे किसी ने देखा नहीं देखा भी तो निकाला नहीं वह फैलती ही गई
Read Moreख़ुदा मुझे पता है तू सब कुछ कर सकता है फिर भी कुछ तो है जो तू नहीं कर सकता।
Read Moreमण्डेला का निधन या फिर सदीं का ठहराव क्या कहें इसे एक योद्धा जो रहा अपराजेय जिसने जीती हर बाजी
Read Moreसमंदर के बीच अटखेलियां करती कविता सभी से दूर अकेले में {1}एक बना रहा नाव !! साथ पतवार लगा रहा
Read Moreभूल तो पड़ जाती तुम्हारी लेकिन पार्कर का पेन जो तुमने दिया था उससे मैं हर रोज लिखता हूं ,
Read Moreप्यार ही आधार जीवन सार है प्यार जीवन की सुखी पतवार है यह खुदा की दी हुई सौगात है प्रीत
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