आज के कान्हा
आज भी कितनी ही “राधाएँ”, अपने “कान्हा” की राह तकतीं हैं ! “कान्हा” बैठे मुरली बजाए, इल्जामों में “राधाएँ ”
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Read Moreगर…. ये दिल, इक खुली किताब बन जाता ! तो जिंदगी जीना ही, बेहाल हो जाता !! बिन बोले पढ़
Read Moreगर पता होता, इतनी मुश्किल डगर है मुहब्बत की राह में, कदम हम न रखते ! उलझने हैं ज्यादा, सकूं
Read Moreथी निर्भया या दामिनी, या मात्र नारी याचिनी। सृष्टि – अभया दिव्य पूजित, दुख सह रही जग- दायिनी।। कैसी विधा
Read Moreमैके की इज्जत कहलाती है बेटियाँ शान ससुराल की भी दर्शाती है बेटियाँ भाइयों को डाँट से बचाती है बेटियाँ
Read More“दोहा” मुरलीधर मनमोहना, आओ मेरे गाँव झूला झूले गोरियाँ, डाल कदम की छाँव।। “चौपाई” श्याम सखा मधुबन चित पाँती, चातक
Read Moreप्रेम की पाती लेकर आता था डाकिया पुकारता था नाम मेरा हिरणी सी चपलता लिए कर जाती थी चोखट को
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