सादर नमन, शहीदी दिवस
मात्रा भार- 16+16= 32……. झूल गए फंदे पर वीरा, भाई तीनों हँसते हँसते सिंह भगत सुखदेव राजगुरु, दिए शहीदी लड़ते
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Read Moreमेरी कविता ने कहा कहाँ गए वे शब्द जिन्हें कभी तुम हरघड़ी रटते थे वक्त वेवक्त॥ गूँज उठती थी हड़बड़ी
Read Moreकवि तुम पुजारी हो दृश्य के अदृश्य के श्रव्य के सत्यम के शिवम के सुंदरम के. कुछ भी नहीं
Read Moreएक जंगल के एक ताल में कछुआ एक रहा करता था कुछ बगुले थे मित्र बने वह मन की बात
Read Moreबहुत कुछ कहना होता है तुमसे पर रह जाती है कुछ अनकही बातें जिसे जुबाँ पर आने नहीं देती मै
Read Moreना जाने क्यों,लोग फैलाते हैं गंदगी. अपने आचार-विचार से, व्यवहार से दूसरोँ को सताने के भाव से ! फिर क्यों
Read Moreजाने कैसी फितरत है खुद से लड़ने की जुगत है है परेशान सी है जिन्दगी की चाह भी खत्म है
Read Moreकभी बँद करूँ मैं मुट्ठी, तो कभी बँद मुट्ठी मैं खोलूँ ! क्या ढूंढ़ते हैं इनमें, ये राज कैसे बोलूं
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