कविता : मेरे भय्या
तेरे साथ जो बीता बचपन कितना सुन्दर जीवन था, ख़ूब लड़ते थे फिर हँसते थे कितना सुन्दर बचपन था, माँ
Read Moreतेरे साथ जो बीता बचपन कितना सुन्दर जीवन था, ख़ूब लड़ते थे फिर हँसते थे कितना सुन्दर बचपन था, माँ
Read Moreमैं अब चुप रहूंगी न करुँगी कोई गिला न ही कोई शिकवा और न शिकायत करुँगी कि मैं अब चुप
Read Moreमाँ की ममता को छोड़ आया हूँ , लाडली सी बहन को चहकते छोड़ आया हूँ , अपनी भारत माँ
Read Moreमुझे मरने से डर नहीं लगता क्योंकि मैं बहुत बहादुर हूँ पर जब भी लगता है कि मैं मर भी
Read Moreभैया सुनो! आज भी मेरे लिए अनमोल हो तुम। आज भी मन तरसता है तुम्हारे साथ को तुम्हारी एक बात
Read Moreबैठो मत उदास सखे, हर्षित राखी आज बहनों का आशीष है, थाली कंकू साज थाली कंकू साज, कलाई धर दे
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