कविता : विषैले खूख
तथाकथित कुछ नेता उभरने लगे हैं आज जैसे उग आते हैं बरसाती मौसम में घातक विषैले ‘खूख’ स्वतः ही l
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Read Moreये दोस्त भी होते है जीवन के अनमोल हिस्से सुख-दु:खो में साथ रहते कदम से कदम मिलाकर चलते दोस्तो के
Read Moreवो पहला प्यार ऑखो का चार दिलों की धडकन अधरो की मन्द-मन्द मुस्कान बढती गयी सिर्फ तुम्हे एक ही बार
Read Moreकुछ दिन तुम साथ चलो हाथो मे हाथ डाल चलो प्यार की नयीं कहानी तुम बनाते चलो टुटे थे जो
Read Moreआया गर्मी का महिना सूर्य उगले आग का गोला तावे जैसा तपती धरती जीव जन्तु हुयें त्रस्त गर्मी सें व्याकूल
Read Moreशीर्षक- उल्हास, आनन्द, उत्सव उल्हास अतिरेक लिए, शादी में धक धाँय आनंद का विनाश है, बंदुक बरात जाय खुशी को
Read Moreमै कभी देखा न तुमने कभी देखा। तो क्यों बनाई याद करने की रेखा। अजनबी हो जायें अब इस जहाँ
Read Moreआज मनुष्य का हो गया है कुछ ऐसा विचार। आवश्यकता जब होती है करतें हैं वाह वाह। जब मिल जाते
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