कविता

पहला प्यार

वो पहला प्यार
ऑखो का चार
दिलों की धडकन
अधरो की मन्द-मन्द
मुस्कान
बढती गयी
सिर्फ तुम्हे
एक ही बार के देखने सें
अँधेरी रात भी
उजाली लगती
जब हम दोनो साथ होते
बातों की गुलछर्रे
हँसी की खिलखिलाहटे
गूँज जाती सभी दिशाओ में
जब हम दोनो साथ होते
डाल हाथो में हाथ
करते दिलों की बात
जैसे कोई अपना
मिला हो वर्षो बाद
खिल जाते दिलों के बाग
जब हम दोनो साथ होते|
निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४

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