आत्मकथा – दो नम्बर का आदमी (कड़ी 11)
दूसरे आॅपरेटर जिनके साथ मेरी बहुत घनिष्टता थी वे थे सरदार कुलदीप सिंह। वे बहुत सज्जन और हँसमुख व्यक्ति थे।
Read Moreदूसरे आॅपरेटर जिनके साथ मेरी बहुत घनिष्टता थी वे थे सरदार कुलदीप सिंह। वे बहुत सज्जन और हँसमुख व्यक्ति थे।
Read Moreहमारा नया और बड़ा कम्प्यूटर बरोज कम्पनी का था। उसकी देखरेख का ठेका सीएमसी लि. नामक कम्पनी को दिया गया
Read Moreहमारे सेक्शन के भवन में कोरबा डिवीजन (जिला अमेठी) के जो दो अधिकारी बैठते थे वे थे श्री अजय अग्रवाल
Read Moreकु. किरण मालती अखौरी हमारे विभाग में एक मात्र महिला अधिकारी थीं। वे बिहार की रहने वाली थीं। उनके पिताजी
Read Moreश्री सैयद शकील परवेज़ चिश्ती (संक्षेप में एसएसपी चिश्ती) बहुत सज्जन व्यक्ति हैं। देखने में कुछ खास नहीं, लेकिन दिल
Read Moreएच.ए.एल. में मेरे समूह के प्रमुख थे श्री राजीव किशोर। आप यों तो ‘अग्रवाल’ थे, परन्तु जातिवाद में विश्वास नहीं
Read Moreएच.ए.एल. में अपनी सेवा प्रारम्भ करने के तीन-चार माह बाद ही मेरी नौकरी खतरे में पड़ गयी। कारण बने ज.ने.वि.
Read Moreफैक्टरी होने के कारण एच.ए.एल. में शिफ्टों में काम होता है। वैसे सभी प्रशासनिक कार्यालय केवल एक शिफ्ट में चलते
Read Moreअब एच.ए.एल. के बारे में विस्तार से बताना उचित होगा। हिन्दुस्तान ऐरोनाॅटिक्स लि. एक लड़ाकू हवाई जहाज बनाने की सरकारी
Read Moreअपनी आत्मकथा के पहले भाग ‘मुर्गे की तीसरी टाँग उर्फ सुबह का सफर’ में मैं लिख चुका हूँ कि किस
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