कहानी : “माँ”
“सूरा-40 अल-मोमिन,” पवित्र कुरआन को माथे से लगाते हुए उस्ताद अख़लाक़ ने कहा, “शुरू नामे-अल्लाह से। जो बड़ा ही मेहरबान,
Read More“सूरा-40 अल-मोमिन,” पवित्र कुरआन को माथे से लगाते हुए उस्ताद अख़लाक़ ने कहा, “शुरू नामे-अल्लाह से। जो बड़ा ही मेहरबान,
Read Moreरजनी रह रहकर यही सोचती थी आखिर कौन सा है मेरा घर , वह घर यहां मैने जन्म तो लिया
Read Moreबहुत खूबसूरत थी वो लड़कपन में। लड़कपन में तो सभी खूबसूरत होते है। क्या लड़के , क्या लड़कियां। पर वो कुछ
Read Moreकचरू का मोबाईल बज गया। भाईसाहब ने उसको घूर कर देखा और आंखों के इशारे से ही बाहर का रास्ता
Read Moreकितनी मुश्किल से मनाया था उसको मिलने को, एक वक़्त था एक दिन भी बिना मिले रह नही पाती थी
Read Moreसुनंदा एक पढ़ी लिखी छोटे कद की साधारण नैन नक्श की लड़की थी अपनें माँ बाप की लाड़ली दो भाइयों
Read Moreसदर बाजार मे पीपल के पेड़ के गटे पर टाट-पट्टी बिछा कर बैठता है पन्ना लाल ! उसके दाई और
Read Moreवो कस्बे में डर डर के रहता था। हालाँकि वो डरपोक नहीं था पर फिर भी डर – डर के रहना
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