कुंडलिया
कुल्हण की रबड़ी सखे, और महकती चाय। दूध मलाई मारि के, चखना चुस्की हाय।। चखना चुस्की हाय, बहुत रसदार कड़ाही।
Read Moreहोकर मानव भूल गए तुम मान महान विचार बनाये। रावण दानव जन्म लियो नहिं बालक पंडित ज्ञान बढ़ाये।। अर्जुन नाहक
Read Moreवाद हुआ न विवाद हुआ, सखि गाल फुला फिरती अँगना। मादक नैन चुराय रहीं, दिखलावत तैं हँसती कँगना।। नाचत गावत
Read Moreकुंडलियाँ छ्न्द…. नेकी करना हो गया, बहुत बड़ा अभिशाप। इस कलियुग में है नही, इससे बढ़कर पाप। इससे बढ़कर पाप,
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