कोहरा
जमीं से आसमान पर चढ़कर कोहरे की फितरत भी आदमी सी हो गई कल जिस सूरज ने फलक तक था
Read Moreपुरजोर से करे रुदन वो बन ठूँठ फैला रीती बाँहें कहे पुकार – बँद करो अत्याचार ! ताकि जन्मे… इस
Read Moreमौन बर्फ़ से सर्द, हो चुके हैं रिश्ते पिघलाए, सहलाए कौन शब्द हो चुके हैं अब बौने ” समझदार” रह
Read Moreमन दा हनेरा दूर ना होवे भांवें लखां सूरज चमकण मन दा हनेरा दूर करण लई प्रेम दा इक्को दीवा
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