नागमणि –एक रहस्य ( भाग –४ )
दुसरे दिन गुरूजी निर्धारित समय पर हमारे घर पर आ गए । घर पर जलपान वगैरह कराकर हम साथ में
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Read Moreउस दिन अमरनाथ जी से हमारी मुलाकात संक्षिप्त ही रही थी । चाय नाश्ता वगैरह करके उस दिन सभी चले
Read Moreएक पल को मैंने अपनी हथेली पर रखा वह मणि देखा और अगले ही पल उस आदिवासी के कहे मुताबिक
Read Moreबात लगभग 1993 के आखिरी दिनों की है । एक शाम मैं अपने एक मित्र की दुकान पर यूँ ही
Read Moreएक उनींदी दोपहर में डायरी के पन्नों से एकाएक मेरा बचपन यादों की खिड़की से झाँककर मुस्कुराता है, और मैं
Read Moreजाफरी साहब…! हाँ….जाफरी साहब..यही नाम था उनका। बचपन की कुछ यादों के बीच जाफरी साहब भी स्मृतियों में अकसर आते
Read More10 अप्रेल, 2013 को मैंने नवभारत टाइम्स में अपने ब्लाॅग पर एक लेख डाला, जिसका शीर्षक था- ‘हिन्दू होने का
Read Moreअब मैं चाहता हूँ कि लीला बहन के मुझ पर लिखे सभी ब्लॉग एक एक करके “मेरी कहानी” की कड़ियां
Read Moreजिंदगी फिर से पटरी पर आ गई और मैं कुलवंत के साथ गाडी में बैठ कर बच्चों को सकूल से
Read Moreजी हाँ! मैं रसूलपुर में स्थापित महादेवी वर्मा की साहित्यकार संसद की ही बात कर रही हूँ। मेरे लिए
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