लघु उपन्यास – षड्यंत्र (कड़ी 21)
इधर पूरी योजना तैयार हो जाने के बाद और वारणावत में महल बनना प्रारम्भ हो जाने के बाद शकुनि के
Read Moreइधर पूरी योजना तैयार हो जाने के बाद और वारणावत में महल बनना प्रारम्भ हो जाने के बाद शकुनि के
Read Moreपूरी योजना बना लेने के बाद दुर्योधन ने पुरोचन को अपने कक्ष में बुलाया। उस समय शकुनि भी वहीं था।
Read Moreदुर्योधन के साथ कर्ण और दुःशासन भी आये, जो उसके साथ छाया की तरह लगे रहते थे। तीनों ने आकर
Read Moreदुर्योधन के जाने के बाद धृतराष्ट्र की चिन्ता और अधिक बढ़ गयी। वे अपने पुत्रों की कमजोरी को जानते थे
Read Moreमहाराज धृतराष्ट्र अपने मंत्री कणिक के परामर्श पर विचार कर रहे थे, उधर उनका लाड़ला पुत्र दुर्योधन अधीर हो रहा
Read Moreइस प्रकार कणिक ने महाराज धृतराष्ट्र को राजनीति की मुख्य बातें समझायीं और शत्रुओं को वश में करने के उपाय
Read Moreशकुनि की बातें सुनकर धृतराष्ट्र की चिन्ता और अधिक बढ़ गयी। पांडवों के प्रति उनके मन में द्वेष तो पहले
Read Moreसामान्यतया राज्य में होने वाली घटनाओं की सभी बातें शकुनि महाराज धृतराष्ट्र तक पहुँचा देता था और अपनी ओर से
Read Moreपांडवों की कीर्ति से दुर्योधन आदि कौरव राजकुमारों को बहुत ईर्ष्या होती थी। यों तो प्रत्यक्ष में उनको कोई कष्ट
Read Moreयुधिष्ठिर द्वारा युवराज पद सँभालने से हस्तिनापुर का वातावरण बदलने लगा। सबसे पहले तो उन्होंने न्याय व्यवस्था को सुदृढ़ किया।
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