नई चेतना भाग –२९
सुबह तड़के ही अमर की नींद खुल गयी थी। हालाँकि गुलाबी ठण्ड की वजह से बीच बीच में वैसे भी
Read Moreसुबह तड़के ही अमर की नींद खुल गयी थी। हालाँकि गुलाबी ठण्ड की वजह से बीच बीच में वैसे भी
Read Moreरमेश बड़ी तेजी से शहर में दवाई की दुकान की तरफ बढ़ा जा रहा था । जल्दबाजी में वह अस्पताल
Read Moreडॉक्टर माथुर को यह उम्मीद थी कि लालाजी अमर के बारे में पूछ कर उससे मिलने के लिए बेताब हो
Read Moreधनिया धीरे धीरे चलती हुयी कक्ष के बाहर दालान में आ गयी । बाबू उसे सहारा देने के लिए उसके
Read Moreअमर बड़ी देर तक सिसकता रहा । काफी सोच विचार के बाद भी किसी निर्णय पर नहीं पहुँच पा रहा
Read Moreबाबू सीढ़ियों से होकर पहली मंजिल पर स्थित सामान्य कक्ष में पहुंचा । यह सामान्य कक्ष अपेक्षाकृत बड़ा था ।
Read Moreगाड़ी सरपट भागी जा रही थी । अब तक खामोश बैठे लालाजी अचानक सुशीलादेवी से मुखातिब हुए ” शिकारपुर गाँव
Read Moreसुशिलाजी की बात सुनते ही बाबा धरनिदास ने अपना पासा फेंका ” कोई बात नहीं देवीजी ! हम तो भक्तों
Read Moreबाबा के अधरों पर एक अनोखी मुस्कुराहट तैर गयी । रहस्यमय मुस्कान के साथ धीरे से बोला ” अभी मेरे
Read Moreईधर बीरपुर में लाला धनीराम का मजबूत ह्रदय भी अपने पुत्र अमर की जुदाई का गम सहते हुए कमजोर हो
Read More