यशोदानंदन-३९
अपनी अद्भुत लीला समाप्त कर श्रीकृष्ण ने व्रज लौटने का निश्चय किया। व्रज में श्रीकृष्ण की अनुपस्थिति से प्रोत्साहित अरिष्टासुर
Read Moreअपनी अद्भुत लीला समाप्त कर श्रीकृष्ण ने व्रज लौटने का निश्चय किया। व्रज में श्रीकृष्ण की अनुपस्थिति से प्रोत्साहित अरिष्टासुर
Read Moreपहली बार श्रीकृष्ण निरुत्तर हुए थे। जिसके पास ब्रह्माण्ड के सभी प्रश्नों के उत्तर थे, वह राधा के सामने चुप
Read More53. सम्राट और साम्राज्ञी अंततः देवलदेवी और धर्मदेव के अतुलनीय बलिदानों एवं शौर्यकार्यों से विधाता देव रीझ उठे और पंद्रह अप्रैल,
Read Moreवह शरद-पूर्णिमा की रात थी। बेला, चमेली, गुलाब, रातरानी की सुगंध से समस्त वातावरण मह-मह कर रहा था। चन्द्रदेव ने
Read Moreआश्चर्य! घोर आश्चर्य!! सात वर्ष का बालक गोवर्धन जैसे महापर्वत को अपनी ऊंगली पर सात दिनों तक धारण किए रहा।
Read More52. मंगल बेला नाऊन ने स्नान कराया, सोलह श्रृंगार किए, बारह आभूषण पहनाए। सखियों ने मंगल गान गाए। पुरोहित ने मंत्र
Read Moreदेवराज इन्द्र का आदेश पाते ही समस्त घातक बादल वृन्दावन के उपर प्रकट हुए। वहां निरन्तर बिजली की चमक, बादलों
Read Moreवर्षा ऋतु और सम्यक वृष्टि के नियामक देवराज इन्द्र को प्रसन्न करने हेतु व्रज में विशाल यज्ञ करने की प्रथा
Read More51. विजय घोष वह शुभ घड़ी आई चार अप्रैल तेरह सौ बीस को। खुशरव शाह और देवलदेवी ने शाही हरम के
Read Moreपृथ्वी पर हेमन्त ऋतु का आगमन हो चुका था। कास के श्वेत पुष्पों से धरा आच्छादित थी। प्रभात होते ही
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