यशोदानंदन-१६
पूतना-वध हो चुका था लेकिन कैसे और क्यों हुआ था, सामान्य मनुष्यों की समझ के बाहर था। यह रहस्य
Read Moreपूतना-वध हो चुका था लेकिन कैसे और क्यों हुआ था, सामान्य मनुष्यों की समझ के बाहर था। यह रहस्य
Read More37. बलात् समर्पण की रात्रि देवलदेवी फूल, कलियों, रत्न और जवाहरात से सजी शय्या पर बैठी है। उसकी देह इत्र की
Read Moreनन्द बाबा और मातु यशोदा के नेत्रों से आनन्दाश्रु छलक रहे थे। समस्त गोकुलवासी भी आनन्द-सरिता में गोते लगा रहे
Read More36. रामदेव, शाही हरम में सुल्तान अलाउद्दीन की पुत्री और अपने पुत्र के निकाह के जलसे में दो घोषणाएँ करता है।
Read Moreपुत्र-प्राप्ति के लिए कंस ने नन्द बाबा को बधाई दी, परन्तु जब यह ज्ञात हुआ कि पुत्र का जन्म उसी
Read More35. सुल्तान और नायब ”काफूर, दिल्ली सल्तनत के जांबाज सिपहसालार दक्खन पर तुम्हारी विजय ने हमारा सिर फर्ख से बुलंद कर
Read Moreकंस एक क्रूर अधिनायक था। पर साथ ही चतुर और धूर्त राजनीतिज्ञ भी था। मथुरा का वह राजा बन ही
Read Moreयोगमाया का प्रभाव समाप्त होते ही मातु यशोदा की निद्रा जाती रही। जैसे ही उनकी दृष्टि बगल में लेटे और
Read More34. सखी से मंत्रणा दिल्ली के शाही हरम में गुजरात की जबरन अपहृत की गई राजकुमारी देवलदेवी का कक्ष। अब वहाँ
Read Moreकंस तो कंस था। वह पाषाण की तरह देवी देवकी की याचना सुनता रहा, पर तनिक भी प्रभावित नहीं हुआ।
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