घाट-84, रिश्तों का “पोस्टमार्टम”
“चलो कपड़े पहनते हैं अब इश्क़ पूरा हुआ… छी… बस यही रह गया है प्यार-मुहब्बत का पर्याय…” कहते हुये निशा ने
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Read Moreममता की परीक्षा ( भाग – 17 ) रुकते रुकते भी कार थोड़ा आगे बढ़ गई थी । गोपाल ने
Read Moreममता की परीक्षा ( भाग – 16 ) खिलखिलाते हुए ही साधना ने अपनी पतली कलाई पर बंधी घड़ी देखी
Read Moreममता की परीक्षा ( भाग – 15 ) एम्बुलेंस में निश्चल पड़ी रजनी की बगल में बैठे सेठ जमनादास के
Read Moreजमनादास जी साधना की तस्वीर देखते ही बुरी तरह चौंक गए थे । अमर के कमरे में उसकी तस्वीर
Read Moreअपने कुछ कपड़े बैग में डालकर अमर ने एक बार ध्यान से पूरे कमरे में नजर दौड़ाई ! कमरे
Read Moreरजनी ने आगे पढ़ना जारी रखा ‘ ………..अब जबकि हकीकत तुम्हारे सामने है , मेरा तुमसे निवेदन है कि
Read Moreममता की परीक्षा ( भाग – 11 ) रजनी ने कार कोठी के लॉन में खड़ी की और किताबें हाथ
Read Moreममता की परीक्षा ( भाग – 10 ) ‘ …………और फिर तुम्हारा उसके पिताजी के बारे में झूठ बोलना कि
Read Moreरजनी की आंखों से बहते आंसू देखकर सुधीर और बिरजू को भी अहसास हो गया था कि कोई बहुत
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