संसार रूपी घोंसले में रहते हुए हम अपनी हृदय गुहा में प्रभु का दर्शन करें
ओ३म् मनुष्य जीवन का उद्देश्य प्रभु का दर्शन कर सभी दुःखों से 31 नील 10 खरब 40 अरब वर्षों तक
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Read Moreओ३म् संसार का प्रत्येक मनुष्य चाहता है कि वह स्वस्थ हो, बलवान हो, सुखी हो व सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं
Read Moreओ३म् वर्तमान काल में संसार में धार्मिक मत-मतान्तर बड़ी संख्या में प्रचलित है जिनकी ठीक-ठीक गणना करना भी सरल कार्य
Read Moreओ३म् मनुष्य को ईश्वर ने जो मानव शरीर दिया है वह पांच ज्ञान इन्द्रिय, पांच कर्म इन्द्रिय, मन व बुद्धि
Read Moreओ३म् वेदों का अध्ययन करने पर हमें ज्ञात होता है कि ईश्वर ने हमारे लिए ही यह सृष्टि बनाई है
Read Moreओ३म् वैदिक साहित्य योगदर्शन वेद का उपांग कहा जाता है। यह वेद के 6 उपांगों योग, सांख्य, वेदान्त, वैशेषिक, न्याय
Read Moreओ३म् हमारे देश के पतन के कारणों में मुख्य कारण था विद्या का ह्रास तथा अन्धविश्वासों व पाखण्डों की वृद्धि।
Read Moreओ३म् जिस प्रकार से नेत्रहीन मनुष्य संसार के दृश्यों के बारे में कल्पनायें करता है उसी प्रकार लगता है कि
Read Moreओ३म् आजकल हमारे देश के बहुत से लोग नाना दिवसों पर व्रत व उपवास आदि रखते और आशा करते हैं
Read Moreओ३म् हम पृथिवी पर पैदा हुए हैं व इस पर रहते हैं परन्तु हमें शायद यह नहीं पता कि इस
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