धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

धर्म-संस्कृति-अध्यात्मब्लॉग/परिचर्चा

“शुद्धि” प्राचीन आर्य विधान है

“घर वापसी”, शुद्धि, परावर्तन अनेक नामों से हम लोग एक प्राचीन संस्कार से आज परिचित है। प्राचीन काल में अनार्यों

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर के संबंध में महर्षि दयानन्द सरस्वती जी के विचार

चारों वेदों में ऐसा कहीं नहीं लिखा जिससे अनेक ईश्वर सिद्ध हों। किन्तु यह तो लिखा है कि ईश्वर एक

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्मब्लॉग/परिचर्चा

धर्म और मजहब में क्या अंतर है?

एक मित्र आज एक सुन्दर प्रश्न पूछा  की धर्म और सम्प्रदाय (मज़हब) में क्या अंतर हैं। यह प्रश्न मुझे अत्यंत

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शंकराचार्य तथा अन्य गुरू

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवो महेश्वर: । गुरुर्साक्षात् परब्रह्मं, तस्मे श्री गुरवे नमः ।। हिन्दू समाज के आदि शंकराचार्य के लिखे इस

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गोरक्षा युक्ति प्रमाण सिद्ध मनुष्य धर्म है

मनुष्य का धर्म क्या है व अधर्म किसे कहते हैं? आज का शिक्षित मनुष्य स्वयं को सभ्य कहता है परन्तु

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वैदिक धर्म की संसार को सर्वोत्तम देन यज्ञ और अग्निहोत्र

संसार के सभी धर्म जो वस्तुतः मत-मतान्तर व मजहब आदि हैं, सर्वांगीण न होकर एकांगी हैं। इनमें सत्य व असत्य

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ईश्वर की उपासना क्यों करें, करें या न करें?

हमें मनुष्य जन्म हमारे माता-पिता से मिला है। माता-पिता चाहते हैं कि हमारी सन्तानें हमारे अनुकूल हों और हमारी सेवा

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