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भारत कुमार को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि : मनोज कुमार – एक युग, एक विचार, एक भावना

“है प्रीत जहाँ की रीत सदा मैं गीत वहाँ के गाता हूँभारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता

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‘बिन तेरे बेचैन’ – हरियाणवी सिनेमा में प्रेम, जुनून और मानसिक उथल-पुथल की अनोखी कहानी*

यह फिल्म हरियाणवी सिनेमा के बदलते परिदृश्य को दर्शाती है, जो पारंपरिक कहानियों से आगे बढ़कर नए विषयों को अपनाने

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घिब्ली की दुनिया बनाम हकीकत: कला, रोजगार और मौलिकता का संघर्ष

रोजगार हमारी ज़रूरतों के लिए आवश्यक है, लेकिन कला और मनोरंजन मानसिक शांति और प्रेरणा का स्रोत बन सकते हैं।

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कविता और काम का कोई गुरु नहीं होता 

 काव्य-प्रणयन की सामर्थ्य उत्पन्न करने वाले साधनों को ‘काव्य हेतु’ या काव्य का कारण कहा जाता है। ये साधन ही

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लुप्त होती हरियाणा की अनमोल विरासत रागनी कला

हरियाणवी लोकसंस्कृति का एक महत्त्वपूर्ण अंग रागनी आज विलुप्ति के कगार पर है। मनोरंजन के आधुनिक साधनों के आगमन और

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