कवितापद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 23/09/2015 अनजान राह, ईश्वर चितचोर ! तू है तो चितचोर ब्रह्माण्ड के निपुण चितेरे दुनियां को रंगा सात रंग से जानता नहीं कोई कितने रंग Read More