छंद : मधुशाला
विधान : 16/14=30,अंत 112/22 प्रथम, द्वितीय, व चतुर्थ चरण तुकांत,तृतीय चरण स्वतंत्र आज सभी जन हुए लालची,छल कुदरत से
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