गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 08/07/2014 क्यों हर कोई परेशां है, मदन मोहन सक्सेना क्यों हर कोई परेशां है क्यों हर कोई परेशां है दिल के पास है लेकिन निगाहों से जो ओझल है ख्बाबों में अक्सर वह हमारे Read More