ग़ज़ल (मुसीबत यार अच्छी है)

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : मुसीबत यार अच्छी है

मुसीबत यार अच्छी है पता तो यार चलता है कैसे कौन कब कितना, रंग अपना बदलता है किसकी कुर्बानी को

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