मुक्तक/दोहा राज किशोर मिश्र 'राज' 18/06/201619/06/2016 दोहा मुक्तक दोहा मुक्तक स्वाति बूँद मोती बने , कंचन बने शरीर बूँद बूँद सागर भरे , यति गति संग समीर रहा कभी टेथीज Read More