मुक्तक/दोहा नवीन श्रोत्रिय 'उत्कर्ष' 01/10/201618/10/2016 दोहे, नवीन श्रोत्रिय"उत्कर्ष", प्रेरक कविता, सामाजिक दोहावली प्रेरक दोहे अब तो अपनी सोच को,बदलो पाकिस्तान । घर में घुसकर मारते,जब लेते हम ठान ।। निकल गया जो हाथ से,बाद Read More
गीत/नवगीत नवीन श्रोत्रिय 'उत्कर्ष' 18/07/201619/07/2016 कविता, नवीन श्रोत्रिय"उत्कर्ष", प्रेरक कविता, भोर भोर स्वप्न सजाये जो पलकों पर, पूरा उनको, तुम अब कर लो, भोर भया, मिट गया अँधेरा, तुम मंजिल को फिर Read More