मुक्तक/दोहा *मदन मोहन सक्सेना 20/04/2015 मदन मोहन सक्सेना, मुक्तक (किस्मत) मुक्तक (किस्मत) मुक्तक (किस्मत) रोता नहीं है कोई भी किसी और के लिए सब अपनी अपनी किस्मत को ले लेकर खूब रोते Read More