कवितापद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 09/09/2015 जिन्दगी, मृग-मरीचिका, सुख- भ्रम खूबसरत भ्रम! जानता हूँ मैं यह ध्रुव सत्य है, पुराने दिन कभी लौटकर नहीं आयगा, जीवन फिर कभी पहले जैसा नहीं होगा, Read More