राजनीति पर दोहे मुक्तक
दोहा राजनीति की नाव पर , चढ़ता जो असवार। पिछड़े दलित शब्द सदा , राखै दो पतवार।। –अशर्फी लाल
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Read Moreदोहे 1-उत्सव होइ चुनाव का,बजैं जाति के ढोल। खाई जनता में बढ़े,सुन सुन कड़ुवे बोल।। 2-जातिवाद अभिशाप है,लोकतंत्र के देश।
Read Moreईमान पर न टंगती, आज देश की नीति बे-ईमानी हो गई, हर पार्टी की नीति |1| भूल हुई है आम
Read Moreमानवविज्ञानी एवं वैज्ञानिकों का मत है – पृथ्वी की उत्पत्ति के लाखों वर्ष बाद पृथ्वी में जीव की उत्पत्ति हुई
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