गीतिका/ग़ज़ल विनोद दवे 13/10/201613/10/2016 ग़ज़ल, दुआ, बद्दुआ, बेटा, बेटी, माँ, समन्दर, ससुराल माँ कितनी आशीष अपने आँचल से निकाल जाती है कैसी भी मुसीबत हो, माँ संभाल जाती है। मैं कितना भी मुस्कराने Read More