गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 22/12/201524/12/2015 ग़ज़ल ( दर्द से मेरे रिश्ते पुराने लगतें हैं), मदन मोहन सक्सेना ग़ज़ल : दर्द से मेरे रिश्ते पुराने लगते हैं वह हर बात को मेरी क्यों दबाने लगते हैं जब हकीकत हम उनको समझाने लगते हैं जिस गलती पर हमको Read More