गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 03/08/201626/08/2016 ग़ज़ल (निगाहों में बसी सूरत फिर उनको क्यों तलाशे है ), मदन मोहन सक्सेना ग़ज़ल : निगाहों में बसी सूरत कुछ इस तरह से हमने अपनी जिंदगी गुजारी है जीने की तमन्ना है न मौत हमको प्यारी है लाचारी का Read More