ग़ज़ल (निगाहों में बसी सूरत फिर उनको क्यों तलाशे है )

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : निगाहों में बसी सूरत

कुछ इस तरह से हमने अपनी जिंदगी गुजारी है जीने की तमन्ना है न मौत हमको प्यारी है लाचारी का

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