गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 26/10/2016 ग़ज़ल (रिश्तों के कोलाहल में ये जीवन ऐसे चलता है ), मदन मोहन सक्सेना ग़ज़ल (रिश्तों के कोलाहल में ये जीवन ऐसे चलता है ) किस की कुर्वानी को किसने याद रखा है दुनियाँ में जलता तेल औ बाती है कहतें दीपक जलता है पथ Read More