गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 23/11/201525/11/2015 ग़ज़ल (वक़्त की रफ़्तार), मदन मोहन सक्सेना ग़ज़ल : वक़्त की रफ़्तार वक़्त की रफ़्तार का कुछ भी भरोसा है नहीं कल तलक था जो सुहाना कल वही विकराल हो इस तरह Read More