कवितापद्य साहित्य

उड़ जा पंछी अनंत पथ पर

उड़ जा पंछी अनंत पथ पर,

छोड़     दे    अपना    नीड़।

ऐसे  उड़िये   उड़ते   जाओ,

स्वयं बना लो अपना नीड़।।

चमको ऐसे विश्व पटल पर,

जैसे  चमकें चांद  सितारा।

अडिग रहो अपने  पथ पर,

जैसे  रहता  है  ध्रुव   तारा।।

कितने भी आयें  झंझावात,

अडिग रहो  शिला बन कर।

मातृ भूमि का मान सदा उर में,

बढ़ जाओ  अग्र दूत  बन कर।।

– अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र

शिक्षाविद,कवि ,लेखक एवं ब्लॉगर

One thought on “उड़ जा पंछी अनंत पथ पर

  • अशर्फी लाल मिश्र

    प्रेरणा गीत .

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